कभी सोचा न था
इस कदर बेरुखी करनी पडेगी
और जो जंग हम जीत चुके थे
वो फिर से लड़नी पडेगी
मोहब्त तो बहुत पाक थी
उसकी इबादत करनी पडेगी
महफिलों मे तो बहुत रह लिए
अब अकेले रहने की आदत करनी पडेगी
और जो जंग हम जीत चुके थे
वो फिर से लड़नी पडेगी
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