Tuesday 30 April 2013

जिंदगी मे कभी कभी आता है ऐसा दोर

जिंदगी मे कभी कभी आता है ऐसा दोर 
इंसान हो जाता है बहुत कमजॊर
हिम्मत टूट जाती है 
विश्वास धरासायी हो जाता है 
जिंदगी का रुख हो जाता है कुछ और 
जिंदगी मे कभी कभी आता है ऐसा दोर 
अपनों की बेरुखी देखी नहीं जाती
दस्ताने जिंदगी जुबा तक नहीं आती 
आखो से आसू , होटों से गायब मुस्कुराना 
सारा जग लगता है बेगाना 
फिर एक जॊश , फिर एक जूनून आता है 
जब इंसान देता है अपने होसले पर गॊर
और एक हौसला बदल देता है जिंदगी का दोर

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