मै जीने के मौलिक अधिकार खो चूका हु |
मै अपने सुविचार खो चूका हु ||
सदियों से मिले संस्कार खो चूका हु |
भागम भाग की जिंदगी मै चीख पुकार खो चूका हु ||
मै सत्य से लडने के हथियार खो चूका हु |
मै अपना परिवार खो चूका हु ||
मै सुख सागर और संसार खो चूका हु |
अब मत जगाओ मरी आत्मा को ,||
मै गहरी निद्रा सो चूका हु |
मै जीने के मौलिक अधिकार खो चूका हु ||
Very nice and heart touching lines. Good work.
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