मै अपना सारा जीवन कागज और लेखनी को समर्पित करता हु I
जो कुछ लिखा है सरस्वती माँ तेरे चरणों मे अर्पित करता हु II
अलख सागर
Friday, 23 August 2013
Tuesday, 23 July 2013
जिंदगी की धुप ने रंग खिला दिया
जिंदगी की धुप ने रंग खिला दिया
जो मिल नहीं सकता मोड पर उससे मिला दिया
वफ़ा तो बहुत की कुछ मुकाम न मिला
थोड़ी सी बेवफाई की तो देखो इल्जामो का सिलसला लगा दिया
जो मिल नहीं सकता मोड पर उससे मिला दिया
वफ़ा तो बहुत की कुछ मुकाम न मिला
थोड़ी सी बेवफाई की तो देखो इल्जामो का सिलसला लगा दिया
I am not agree with राहत इंदौरी below lines :
I am not agree with राहत इंदौरी below lines :
सच बात कौन है.... जो सरे आम कह सके......
मैं कह रहा हूं.... मुझ को सज़ा देनी चाहिए.......
सौदा यहीं पे होता है हिंदुस्तान का......
संसद भवन में आग लगा देनी चाहिए.....
राहत इंदौरी ........
Please tell me ?
प्रजा तंत्र के गर्भ (संसद भवन ) का क्या कसूर ।
सौदा यहीं पे होता है हिंदुस्तान का ये बात है सच जरूर ।।
इन व्या पारियो के रहनुमा है हम ही ।
गॊर से जरा सोचना मेरे हजूर ।।
......
सच बात कौन है.... जो सरे आम कह सके......
मैं कह रहा हूं.... मुझ को सज़ा देनी चाहिए.......
सौदा यहीं पे होता है हिंदुस्तान का......
संसद भवन में आग लगा देनी चाहिए.....
राहत इंदौरी ........
Please tell me ?
प्रजा तंत्र के गर्भ (संसद भवन ) का क्या कसूर ।
सौदा यहीं पे होता है हिंदुस्तान का ये बात है सच जरूर ।।
इन व्या पारियो के रहनुमा है हम ही ।
गॊर से जरा सोचना मेरे हजूर ।।
......
अहिस्ते अहिस्ते
अहिस्ते अहिस्ते
ख़तम हो रहे है कुछ रिश्ते
कुछ महसूस किये जा सकते है
कुछ नहीं है दिखते
अहिस्ते अहिस्ते
ख़तम हो रहे है कुछ रिश्ते
कुछ महसूस किये जा सकते है
कुछ नहीं है दिखते
अहिस्ते अहिस्ते
तुम मेरे बारे में कोई राय न कायम करना
तुम मेरे बारे में कोई राय न कायम करना
मेरा वक्त बदलेगा, तुम्हारी राय बदल जायेगी
मेरा वक्त बदलेगा, तुम्हारी राय बदल जायेगी
इल्ज़ाम चाहे जो लगालो ,हम सच कहने के आदी हैं ,
इल्ज़ाम चाहे जो लगालो ,हम सच कहने के आदी हैं ,
सच कहना अगर बगावत है तो समझो हम भी बागी हैं |
बगावत मेरी फिदरत नहीं है
वक्त ने बागी बना दिया
सीधी सीधी जिंदगी जी रहा था
वक्त के हालातो ने हमे जगा दिया
वक्त ने बागी बना दिया
सीधी सीधी जिंदगी जी रहा था
वक्त के हालातो ने हमे जगा दिया
मैं ने अपने आप को टुकडो मैं बाट दिया है |
मैं ने अपने आप को टुकडो मैं बाट दिया है |
हर टुकडे से अलग अलग लॊग खेल रहे है ||
हर टुकड़ा अपने आप मैं खुश है |
और मैं सुब टुकडो को मिला कर खुश हु ||
हर टुकडे से अलग अलग लॊग खेल रहे है ||
हर टुकड़ा अपने आप मैं खुश है |
और मैं सुब टुकडो को मिला कर खुश हु ||
जिन से उम्मीद थी की हमारे जखंम पर मलहम लगायेगे
जिन से उम्मीद थी की हमारे जखंम पर मलहम लगायेगे
क्या पता था हमको ओ ही पीठ मे खंजर मार कर चले जायेगे
क्या पता था हमको ओ ही पीठ मे खंजर मार कर चले जायेगे
वो हमको सुलाना नहीं चाहते
वो हमको सुलाना नहीं चाहते
हम उनको रुलाना नहीं चाहते
वो हमारे पास आना नहीं चाहते
और हम दूर जाना नहीं चाहते
मानस पटल से निसा हमारे मिटाना नहीं चाहते
जखम बहुत है पर हम भी दिखाना नहीं चाहते
वो हमको सुलाना नहीं चाहते
हम उनको रुलाना नहीं चाहते
हम उनको रुलाना नहीं चाहते
वो हमारे पास आना नहीं चाहते
और हम दूर जाना नहीं चाहते
मानस पटल से निसा हमारे मिटाना नहीं चाहते
जखम बहुत है पर हम भी दिखाना नहीं चाहते
वो हमको सुलाना नहीं चाहते
हम उनको रुलाना नहीं चाहते
मेरी तरफ एक कदम बढोगे मै सॊ कदम बढ़ाउँगा |
मेरी तरफ एक कदम बढोगे मै सॊ कदम बढ़ाउँगा |
अगर तुम एक कदम पीछे जाओगे मै सॊ कदम पीछे चला जाउगा ||
अगर तुम एक कदम पीछे जाओगे मै सॊ कदम पीछे चला जाउगा ||
यादगार बन कर रह जाती है बहुत सी शामे
यादगार बन कर रह जाती है बहुत सी शामे
आज खामोसी तोड़ दिजीये
ताकि आने वाले मोड पर आप हमे और हम आप को पहचाने
आज खामोसी तोड़ दिजीये
ताकि आने वाले मोड पर आप हमे और हम आप को पहचाने
Wednesday, 29 May 2013
मेरे शहनवाज़ , तू भी अपना कटोरा पलट के रख दे
मांगने से न दे
फिर कोई समुंदर दे
मेरे शहनवाज़ , तू भी अपना कटोरा पलट के रख दे
Monday, 27 May 2013
मै गजल बन कर जी रहा हू
मै गजल बन कर जी रहा हू , जिसने चाहा गुनगुना लिया
कुछ ने याद रखा , कुछ ने भुला दिया
कभी कोठो पर रहा
तो कभी मयखानों मे,
शराब से नहा लिया
मै गजल बन कर जी रहा हू , जिसने चाहा गुनगुना लिया
अवारा गजल बन गया हू
किसी के भी अचल मे ठहर गया हू
दूसरो के दर्द को कम करता रहा
मै गजल बन कर
मेरा दर्द कोई न समझ सका
मेरा हम सफ़र बन कर
उसने एक मौका न दिया
दहर छोडने को
हर दम बैठे रहे मेरा , दिल तोडने को
गजल दर दर की ठोकरे खाती रही
जिंदगी के असिया मे रात यो ही आती रही
जब गजल ने दम तोडा
तो वो घुगरू बांधा कर मुस्कुराती रही है
आज खामोश गजल कदामत (पुरानी सोच) हो गयी है
उसका कोई तवारुफ़ (परिचय )नहीं है
हम नासीनो पर एइतिबार है
कोई तो बढ कर कहेगा
मै उसका मोसीकि (संगीत )रहा हू
मै गजल बन कर जी रहा हू
कोई गजल की भी मिजराब ए आलम (दर्द )को समझे
उसे अपने अरिजो (होटों )पर बसा ले
आज सिर्फ असूओ को पी रहा हु
मै गजल बन कर जी रहा हू ,
मै गजल बन कर जी रहा हू ,......
कुछ ने याद रखा , कुछ ने भुला दिया
कभी कोठो पर रहा
तो कभी मयखानों मे,
शराब से नहा लिया
मै गजल बन कर जी रहा हू , जिसने चाहा गुनगुना लिया
अवारा गजल बन गया हू
किसी के भी अचल मे ठहर गया हू
दूसरो के दर्द को कम करता रहा
मै गजल बन कर
मेरा दर्द कोई न समझ सका
मेरा हम सफ़र बन कर
उसने एक मौका न दिया
दहर छोडने को
हर दम बैठे रहे मेरा , दिल तोडने को
गजल दर दर की ठोकरे खाती रही
जिंदगी के असिया मे रात यो ही आती रही
जब गजल ने दम तोडा
तो वो घुगरू बांधा कर मुस्कुराती रही है
आज खामोश गजल कदामत (पुरानी सोच) हो गयी है
उसका कोई तवारुफ़ (परिचय )नहीं है
हम नासीनो पर एइतिबार है
कोई तो बढ कर कहेगा
मै उसका मोसीकि (संगीत )रहा हू
मै गजल बन कर जी रहा हू
कोई गजल की भी मिजराब ए आलम (दर्द )को समझे
उसे अपने अरिजो (होटों )पर बसा ले
आज सिर्फ असूओ को पी रहा हु
मै गजल बन कर जी रहा हू ,
मै गजल बन कर जी रहा हू ,......
Tuesday, 30 April 2013
जिंदगी मे कभी कभी आता है ऐसा दोर
जिंदगी मे कभी कभी आता है ऐसा दोर
इंसान हो जाता है बहुत कमजॊर
हिम्मत टूट जाती है
विश्वास धरासायी हो जाता है
जिंदगी का रुख हो जाता है कुछ और
जिंदगी मे कभी कभी आता है ऐसा दोर
अपनों की बेरुखी देखी नहीं जाती
दस्ताने जिंदगी जुबा तक नहीं आती
आखो से आसू , होटों से गायब मुस्कुराना
सारा जग लगता है बेगाना
फिर एक जॊश , फिर एक जूनून आता है
जब इंसान देता है अपने होसले पर गॊर
और एक हौसला बदल देता है जिंदगी का दोर
इंसान हो जाता है बहुत कमजॊर
हिम्मत टूट जाती है
विश्वास धरासायी हो जाता है
जिंदगी का रुख हो जाता है कुछ और
जिंदगी मे कभी कभी आता है ऐसा दोर
अपनों की बेरुखी देखी नहीं जाती
दस्ताने जिंदगी जुबा तक नहीं आती
आखो से आसू , होटों से गायब मुस्कुराना
सारा जग लगता है बेगाना
फिर एक जॊश , फिर एक जूनून आता है
जब इंसान देता है अपने होसले पर गॊर
और एक हौसला बदल देता है जिंदगी का दोर
Thursday, 25 April 2013
आज का मानव
मै जीने के मौलिक अधिकार खो चूका हु |
मै अपने सुविचार खो चूका हु ||
सदियों से मिले संस्कार खो चूका हु |
भागम भाग की जिंदगी मै चीख पुकार खो चूका हु ||
मै सत्य से लडने के हथियार खो चूका हु |
मै अपना परिवार खो चूका हु ||
मै सुख सागर और संसार खो चूका हु |
अब मत जगाओ मरी आत्मा को ,||
मै गहरी निद्रा सो चूका हु |
मै जीने के मौलिक अधिकार खो चूका हु ||
Wednesday, 24 April 2013
आधियों से बगावत की है
आधियों से बगावत की है तुफानो मे चिराग जला रखा है.
जो सोचते है की हम ख़ाक हो गए आ कर देखे , राख मे भी अंगार दबा रखा है |
जो सोचते है की हम ख़ाक हो गए आ कर देखे , राख मे भी अंगार दबा रखा है |
जाम ले कर बैठय है !!
कोंन कहता है की हम निकामे है इतना बड़ा काम ले कर बैठय है !
देखो यारो हाथो मे जाम ले कर बैठय है !!
देखो यारो हाथो मे जाम ले कर बैठय है !!
पलकों का पहरा नजर आता है.
हर मासूम चहरे पर उनका चहरा नजर आता है.
जब ओ हमसे मिलते है तो उनकी आखो पर पलकों का पहरा नजर आता है.
जब ओ हमसे मिलते है तो उनकी आखो पर पलकों का पहरा नजर आता है.
बडे बेवफा थे ओ
हम उनकी याद मे रात बहर जागते रहे, और ओ चैन से सो गए !
बडे बेवफा थे ओ , दिन मे मेरे और रात मे किसी और के हो गए !!
बडे बेवफा थे ओ , दिन मे मेरे और रात मे किसी और के हो गए !!
बहुत मोहब्बत थी उनको हमसे
बहुत मोहब्बत थी हमको उनसे,कब्र मे उनकी याद आ गयी !
बहुत मोहब्बत थी उनको हमसे,निगहा उठा कर देखी तो कब्रगाह मे एक लाश आ गयी!
बहुत मोहब्बत थी उनको हमसे,निगहा उठा कर देखी तो कब्रगाह मे एक लाश आ गयी!
ये तो सिर्फ आगाज है
हम सब अगर साथ है तो ये महफ़िल नहीं किसी की मोहताज है
अंजाम अभी बाकी है दोस्तों ये तो सिर्फ आगाज है
अंजाम अभी बाकी है दोस्तों ये तो सिर्फ आगाज है
मेरे बुलंद इरादे
मेरी तकदीर को बदल देंगे मेरे बुलंद इरादे,
मेरी किस्मत नहीं मोहताज मेरे हाँथों कि लकीरों कि !!!
मेरी किस्मत नहीं मोहताज मेरे हाँथों कि लकीरों कि !!!
मुझे खैरात मे मिली खुशी अच्छी नहीं लगती
मुझे खैरात मे मिली खुशी अच्छी नहीं लगती
मे अपने गमो मे रहता हु नवाबो की तरह
जरुरी नहीं हर खुशी मिले जमाने मे,
तो कुछ खुशी को जी लेता हु मै खाहबो की तरह
मे अपने गमो मे रहता हु नवाबो की तरह
जरुरी नहीं हर खुशी मिले जमाने मे,
तो कुछ खुशी को जी लेता हु मै खाहबो की तरह
नयी उमंग
आज फिर एक शाम निकल जाएगी
उम्र और थोड़ी सी कम हो जाएगी
सुबह नयी किरण नजर आएगी
तो जी लो , नयी उमंग के साथ
हमेसा याद रखना आज की रात
उम्र और थोड़ी सी कम हो जाएगी
सुबह नयी किरण नजर आएगी
तो जी लो , नयी उमंग के साथ
हमेसा याद रखना आज की रात
आज कसम हे तुझे तेरे मेहकाने की
आज कसम हे तुझे तेरे मेहकाने की,
पीला ईतनी की ना रहे खबर जमाने की,
ना सकुन ना राहत मागी तुझसे,
दर्द दे इतना की हसरत ना रहे दिल लगाने की
पीला ईतनी की ना रहे खबर जमाने की,
ना सकुन ना राहत मागी तुझसे,
दर्द दे इतना की हसरत ना रहे दिल लगाने की
मुझे मेरे घर जाने दो
मै घुटन भरे शहर मै जीना नहीं चाहता हु
मुझे मर जाने दो
इस मशीनों के शहर मे नहीं रहना है
मुझे मेरे घर जाने दो
Sunday, 7 April 2013
आज शांत हो गयी एक ज्वाला
आज शांत हो गयी एक ज्वाला
पी लिया समाज ने जहर का पायला
छोड़ गयी है एक चिंगारी
अब तो जागो समझो अंपनी अपनी ज़िम्मेदारी
मानस पटल पर है चिंता की लकीर
आओ मिल कर बदले समाज की तस्वीर
जय हिन्द !!!!
(इस आग को बुझने मत देना दोस्तों )
सच बात कौन है....
मै श्री मान राहत इंदौरी की चंद लाइनों से सहमत नहीं हु :::
सच बात कौन है.... जो सरे आम कह सके......
मैं कह रहा हूं.... मुझ को सज़ा देनी चाहिए.......
सौदा यहीं पे होता है हिंदुस्तान का......
संसद भवन में आग लगा देनी चाहिए.....
सौदा यहीं पे होता है हिंदुस्तान का......
संसद भवन में आग लगा देनी चाहिए.....
राहत इंदौरी ........
प्रजा तंत्र के गर्भ (संसद भवन ) का क्या कसूर ।
सौदा यहीं पे होता है हिंदुस्तान का ये बात है सच जरूर ।।
इन व्या पारियो के रहनुमा है हम ही ।
गॊर से जरा सोचना मेरे हजूर ।।
अलख सागर...................
जिंदगी की धुप ने रंग खिला दिया
जिंदगी की धुप ने रंग खिला दिया
जो मिल नहीं सकता मोड पर उससे मिला दिया
वफ़ा तो बहुत की कुछ मुकाम न मिला
थोड़ी सी बेवफाई की तो देखो इल्जामो का सिलसला लगा दिया
कभी सोचा न था
कभी सोचा न था
इस कदर बेरुखी करनी पडेगी
और जो जंग हम जीत चुके थे
वो फिर से लड़नी पडेगी
मोहब्त तो बहुत पाक थी
उसकी इबादत करनी पडेगी
महफिलों मे तो बहुत रह लिए
अब अकेले रहने की आदत करनी पडेगी
और जो जंग हम जीत चुके थे
वो फिर से लड़नी पडेगी
बहुत रातो से मै रोया नहीं था
छा गया अधेरा बंद कर ली मै ने आखे
बहुत रात से सोया नहीं था
बेवजह सू खा नहीं पड़ा शहर मे
बहुत रातो से मै रोया नहीं था
दुश्मनी मे दोस्ती का सिलसला रहने दिया
दुश्मनी मे दोस्ती का सिलसला रहने दिया
ख़त सब जला दिए बस पता रहने दिया
जुड़ जाओ इस अभियान मे
आवो हिन्दुस्तानियों जुड़ जाओ इस अभियान मे
अपना अपना योगदान दो हिंदी की पहचान मे
और हम भी कह सके हिंदी है हमारी राष्ट्रभाषा शान मे
हिंदी अलख जगाओ , हिंदी बचाओ
हिंदी अलख जगाओ , हिंदी बचाओ
हिंदी नहीं सिर्फ एक भाषा है,
हिंदी नहीं सिर्फ एक भाषा है,
हिन्दुस्तान की परिभाषा है ,
करोड़ो लोगो की आशा है ,
हर दिल मे ये बसे यही मेरी अभिलाषा है
मेरे अलफ़ाज़ चुराते है
अचछा लगता है जब लॊग मेरे अलफ़ाज़ चुराते है
ये तो शब्दों की खुशबु है लॊग ही फैलाते है
अब कुछ न लिखेगे
सोचा था अब कुछ न लिखेगे
ये कलम जवाब दे गयी
मरना तो बहुत चाहते थे
लेकिन बेवफा जिंदगी साथ दे गयी
दहर मे मेने तेरा कूचा चुना है
बहुत दिनों बाद तुम्हे खनदा ए बेबाक सुना है
मौत हो मेरी दाद ए सदाकत के लिए
दहर मे मेने तेरा कूचा चुना है
ये गुस्तोगु बंद मत करना
आज मिली फिर निशात है
बस इतनी जहमत करना
बेरुखी मे आकर
ये गुस्तोगु बंद मत करना
दुनिया का सबसे बड़ा दिवालिया वो है जिसका जोश ख़तम हो गया हो
दुनिया का सबसे बड़ा दिवालिया वो है जिसका जोश ख़तम हो गया हो I
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