Friday 8 April 2016

तोड दिये सब रिस्ते नाते

तोड दिये सब रिस्ते नाते 
आसू नही गिरने दिये आखो से तेरा शहर छोडकर जाते जाते 
थक गया था तेरी बेवफाई का बोझ उठाते उठाते
भूल गया था सब रिस्ते
एक तेऱा रिस्ता निभाते निभाते
तोड दिये सब रिस्ते नाते
आसू नही गिरने दिये आखो से
तेरा शहर छोडकर जाते जाते
गैरो को लाख चाह लो
एक जनम लग जायेगे हमे भूलाते भूलाते
जा कर देखना उसकी बाहो मे रात गुजर जयेगी
नीद आतेआते
और तेरे दिये जख्मो पर हौसले का मलहम लगा कर
जिन्दगी गुजार देगे मुस्कुराते मुस्कुराते


Chandra Prakash Yadav

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