तोड दिये सब रिस्ते नाते
आसू नही गिरने दिये आखो से तेरा शहर छोडकर जाते जाते
थक गया था तेरी बेवफाई का बोझ उठाते उठाते
भूल गया था सब रिस्ते
एक तेऱा रिस्ता निभाते निभाते
तोड दिये सब रिस्ते नाते
आसू नही गिरने दिये आखो से
तेरा शहर छोडकर जाते जाते
गैरो को लाख चाह लो
एक जनम लग जायेगे हमे भूलाते भूलाते
जा कर देखना उसकी बाहो मे रात गुजर जयेगी
नीद आतेआते
और तेरे दिये जख्मो पर हौसले का मलहम लगा कर
जिन्दगी गुजार देगे मुस्कुराते मुस्कुराते
Chandra Prakash Yadav
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