मै अपनो के आगे सौ बार झुकता हु
फिर कोई हज़ार बार पुकारे
मुड कर नहीं देखता , नहीं रुकता हु
मै अपनो के आगे सौ बार झुकता हु
आँखों मै दुखॊ का शैलाब भरा है
रोता नहीं हु कही छलक कर अपनों के पास न चला जाये
इस लिए अपने आप मै घुटता हु
मै अपनो के आगे सौ बार झुकता हु
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